।। प्रेम प्रसंग ।।

मैंने उठायी , आज कलम
लिखने चला मोहब्ते दास्ता ।।
पर बया नही हो पाया ,
सायद उसकी ,चाहत येही थी ।
फिर मैंने सोचा लिखू क्या
सायद ये मोहब्ते शिकायत होगा ।।
मैंने उठायी , आज कलम
लिखने चला मोहब्ते दास्ता ।।
क्या सोचेगे लोग , मुझे फर्क नही पड़ता ।
क्योंकि मैं आज भी वैसा ही हू जैसा कल था ।।
मैं आज भी खुश होता हूँ , उसकी हँसी देख कर ।
सायद वो भी कभी ख़ुश हुई होगी मेरी हँसी पर ।।
मैं आज भी उसी का हू , ये वो नही जानती ।
सायद वो मेरे किस्मत में नही , ये ईश्वर ही जानते होंगे ।।
मैंने उठायी , आज कलम
लिखने चला मोहब्ते दास्ता ।।
    
                                 
                                           :- अमितेश कुमार गुप्ता

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