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|| मैं नही रहूंगा तोह ! कौन कहता? ||🙃

तुम्हारे हर मुस्कान पर मुस्कराना , मैं नही रहूंगा तोह ! कौन करता ? तम्हारे बात बताने पे हा बताओ, मैं नही रहूंगा तोह ! कौन कहता? तुम्हारे हर बात पे इतराना , मैं नही रहूंगा तोह ! कौन करता ? तम्हारे मुरझाये सकल पे डाटना, मैं नही रहूंगा तोह ! कौन करता? तुम्हारे हर रात पर न सोने का जिद्द, मैं नही रहूंगा तोह ! कौन करता? तम्हारे हर मुश्किल में साथ रहने की बात, मैं नही रहूंगा तोह ! कौन कहता? तम्हारे डांटने पर फिर से हँसदेना, मैं नही रहूंगा ! तोह कौन करता? तुम्हारे हर बात पे पहले तुम-पहले तुम , मैं नही रहूंगा तोह ! कौन कहता? ____________________🤐 मैं नही रहूंगा तोह ! कौन कहता?

।। ज़िन्दगी।।

विश्वास नही होता ! मैं खुद को देख रहा हूँ। भूत , वर्तमान और भविष्य के गलिहारे में । मैं खुद को ढूढ़ रहा हूँ। अपने न होकर भी होने का प्रमाण को पर हर बार । खुद को खुद से  हारा हुआ पा रहा हूँ। मैने अपनी दृष्टि को  एक दिशा दे दिया हूँ। स्वयं से स्वयं के पराजय का अनुभूति कर लिया हूँ। पर हारा नही मैं अभी भी लड़ रहा हूँ। विश्वास नही होता ! मैं खुद को देख रहा हूँ। भूत , वर्तमान और भविष्य के गलिहारे में । मैं खुद को ढूढ़ रहा हूँ।                                                     :-अमितेश

प्रेम प्रसंग भाग-२

ये दिल भी मेरा , मेरा ना रहा  ये सुकुनो चैन भी , मेरा ना रहा खो गया हु इसकदर मैं,  मुझमे मैं ही मैं ना रहा  ये शायद उसकी एक नज़र, जो घायल कर गयी इस कदर , ना जाने क्यू दूर रहना चाहू , ना जाने क्यू चुप -चाप रहना चाहू , ना जाने क्यू उसकी मुस्कराहट देखना चाहू, ना जाने क्यूअपने आप को बदलना चाहू, ये शायद उसकी एक नज़र, जो घायल कर गयी इस कदर, ना जाने क्यू उसे अपने संगीत में पिरोना चाहू , ना जाने क्यू उसे किसी राग का नाम देना चाहू , ना जाने क्यू उसे दुनिया की सारी खुशिया देना चाहू , ना जाने मैं उसे इस कदर चाहू,  ना जाने मैं उसे इस कदर चाहू, ये शायद उसकी एक नज़र, जो घायल कर गयी इसकदर ।।                                           :-अमितेश कुमार गुप्ता

प्रेम प्रसंग भाग-१

मेरी नज़रो मे शांत लहरों की शरारत हो तुम , ठंडी धुप की बुख़ार वाली हरारत हो तुम , एक मधुर गीत की प्यारी सी तान हो तुम , मेरी हर एक नादान गलतियों की कारन  हो तुम , मेरी हर मुस्कराहट और खुशियों का एहसास हो तुम , मैं लिखता हूं जिस दवात से उसकी स्याही हो तुम , मैं और क्या बताऊँ ,  शायद ...! मेरे दिल मे धड़कने वाली जान हो तुम , जो भी हो इस दुनिया की नज़र में , पर मेरे नज़र में खास हो तुम ।                                                :- अमितेश कुमार गुप्ता