Posts

Showing posts from December, 2017

॥ लक्ष्य की प्राप्ति॥

                ॥ लक्ष्य की प्राप्ति॥ उड़ चल पक्षी राह अकेला, यहाँ ना तेरा कोई बसेरा जहाँ मिले तुझे अपना डेरा, कर लेना तू रैन बसेरा। तू हैं जगत मे एक अकेला, लगा यहाँ बहारो का मेला यह मेला भी एक अलबेला, यहाँ सिर्फ माया का खेला। जो भी खेला ये खेल निराला, हारा वह अपनों से हारा-हारा दुर्दिन दशा मे फसँ जायेगा, मोह माया सब तज जायेगा। तू है एक दर्पण की काया, टूटकर तू बिखर जायेगा तुझको खुद से उठना ही होगा, तुझको खुद से बढ़ना ही होगा। तेरा ना कोई सहारा रे, तेरा ना कोई सहारा रे उड़ चल पक्षी राह अकेला, यहाँ ना तेरा कोई बसेरा॥ तू पथिक इस राह का एक अकेला, इस सफ़र में ना कोई तेरा जिस राह चलेगा तू,  वह राह दिखाए ढेरो सपने,पर उसमे ना कोई अपने तू बड़ता है उडता ही चल, ये खुला आसमा तेरा हैं। दुख दर्द तम्हारे शक्ति हैं, तू सचित कर-तू सचित कर इस नागफनी सी दुनिया में, तू खुद को स्थापित तो कर। तुने रूख हवा का मोडा है,तू कठिन परिश्रम करता रे उड़ चल पक्षी राह अकेला, यहाँ ना तेरा कोई बसेरा।। तुम से पुर्ण इस आसमां को, तू ज्योर्तिमय कर चल आत्मशक्ति हथियार तेरा है, आगे तू