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प्रेम प्रसंग भाग-२

ये दिल भी मेरा , मेरा ना रहा  ये सुकुनो चैन भी , मेरा ना रहा खो गया हु इसकदर मैं,  मुझमे मैं ही मैं ना रहा  ये शायद उसकी एक नज़र, जो घायल कर गयी इस कदर , ना जाने क्यू दूर रहना चाहू , ना जाने क्यू चुप -चाप रहना चाहू , ना जाने क्यू उसकी मुस्कराहट देखना चाहू, ना जाने क्यूअपने आप को बदलना चाहू, ये शायद उसकी एक नज़र, जो घायल कर गयी इस कदर, ना जाने क्यू उसे अपने संगीत में पिरोना चाहू , ना जाने क्यू उसे किसी राग का नाम देना चाहू , ना जाने क्यू उसे दुनिया की सारी खुशिया देना चाहू , ना जाने मैं उसे इस कदर चाहू,  ना जाने मैं उसे इस कदर चाहू, ये शायद उसकी एक नज़र, जो घायल कर गयी इसकदर ।।                                           :-अमितेश कुमार गुप्ता