||नज़रे मिलाऊँ कैसे?||🤔

नज़रे फिर से तुमसे मिलाऊँ कैसे ,
गलती वहीं फिर से दोहराऊं कैसे ।

इन आँखों को तो तम्हे देखने की आदत है,
तम्हारे चक्कर मे सुधार जाऊ कैसे ।

मेरे लिए तो तुम्हीं सब कुछ थी और हों,
अब तू ही बता तुम्हे ठुकराऊ कैसे ।

उस रास्ते मे तीखे मोड़ बहुत है,
पर मंज़िल वही है तो मुड़ जाऊ कैसे ।

मैं एक बंद कमरा हू कई राजो का अरसो से,
अब एक ही झटके में खुल जाऊ कैसे ।

हम उतने भी मोमदिल नही है जितने दिखते है,
तुम्हारा साथ रहना आख़िर भूल जाऊँ कैसे ।

अभी पता नही कितने दिन और रह पाऊ तम्हारे बीना,
इतनी जल्दी तुमको अपने जेहन से निकालू कैसे ।

तुम्हारे सिवाय और कोई नही हैं मेरी ज़िंदगी मे,
ये बात तुम्हे समझाऊ कैसे ।

नज़रे फिर से, तुमसे मिलाऊँ कैसे ।।

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।। ज़िन्दगी।।