माँ❣️
माँ कहने को तो शब्द है बहुत छोटा पर इस शब्द की गहराई की माप नहीं हम दुनिया के लिए बेसक कुछ भी नहीं पर माँ के लिए तो मुझ जैसे लाल नही कभी डाटती हमे कभी गले लगाती हमारी आँखों के अंशु पोछती अपने होठो की हंसी हम पर लुटाती हर मर्ज की दावा वो खुद ही होती हमारी खुशियों में सामिल होकर अपने हर गम को भुलाती दुनिया की तपिश में हमे बचा के अपनी अंचल की शीतल छाया देती जब भी कभी ठोकर लगे मुझे तो याद बस तूही आती , याद बस तूही आती माँ🥺 :- अमितेश